Pakistan occupied kashmir : भारत ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर विवाद में किसी भी प्रकार की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की जाएगी। सरकार ने साफ कहा कि पाकिस्तान से चर्चा केवल उसके कब्जे वाले कश्मीर (PoK) को वापस लेने के मुद्दे पर ही हो सकती है।
DGMO चैनल के जरिये ही होगी पाकिस्तान से बातचीत
हिंदुस्तान टाइम्स के सूत्रों के अनुसार, भारत सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ संवाद सिर्फ सेना के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) चैनल के माध्यम से होगा। इसके अलावा कोई और मसला चर्चा के लिए बचता ही नहीं है।
ट्रंप के मध्यस्थता प्रस्ताव को भारत ने किया खारिज
यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद को सुलझाने में मध्यस्थता की पेशकश की थी। लेकिन भारत ने पहले की तरह इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और अपने रुख पर कायम रहा कि कश्मीर का मुद्दा केवल द्विपक्षीय बातचीत से ही सुलझेगा।
सरकारी सूत्रों के हवाले से पीटीआई ने कहा, “कश्मीर से जुड़ी चर्चा में केवल पाकिस्तान के कब्जे वाले अवैध क्षेत्र की वापसी का मुद्दा शामिल है, बाकी कुछ नहीं।”
प्रधानमंत्री मोदी का कड़ा संदेश
पीटीआई रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे डी वेंस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बातचीत की थी और तनाव कम करने की अपील की थी। इस पर पीएम मोदी ने साफ शब्दों में कहा कि “अगर पाकिस्तान हमला करेगा, तो भारत और भी जोरदार जवाब देगा।”
संघर्षविराम पर अमेरिका का दावा और भारत का पलटवार
ट्रंप प्रशासन ने दावा किया कि उन्होंने भारत-पाक के बीच संघर्षविराम में मध्यस्थता की थी। हालांकि, भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि असल में पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारतीय समकक्ष से संपर्क कर तनाव कम करने की गुजारिश की थी।
ट्रंप का बयान: व्यापार बढ़ाएंगे, समाधान खोजेंगे
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा कि वह भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार को बढ़ावा देंगे और कश्मीर विवाद का दीर्घकालिक समाधान तलाशेंगे। उन्होंने कहा कि “मुझे गर्व है कि अमेरिका ने इस ऐतिहासिक निर्णय में मदद की। हम दोनों देशों के साथ मिलकर कश्मीर समस्या का समाधान निकालने की कोशिश करेंगे।”
भारत का दो टूक जवाब: सिमला समझौते के तहत ही हल संभव
जहां पाकिस्तान ने ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश का स्वागत किया, वहीं भारत ने एक बार फिर दोहराया कि वह किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं मानेगा। भारत का स्पष्ट रुख है कि सभी मुद्दे सिर्फ द्विपक्षीय वार्ता के तहत और सिमला समझौते के अनुसार ही सुलझाए जाएंगे।
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निष्कर्ष
भारत ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर से जुड़ा कोई भी मुद्दा सिर्फ द्विपक्षीय वार्ता के तहत ही सुलझाया जाएगा। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) की वापसी ही एकमात्र विषय है जिस पर चर्चा संभव है। अमेरिका या किसी अन्य देश की मध्यस्थता का भारत ने साफतौर पर खंडन कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सख्त संदेश और विदेश मंत्रालय का दो टूक रुख यह दर्शाता है कि भारत की कश्मीर नीति मजबूत और अडिग है। ऐसे में आने वाले समय में कश्मीर मुद्दे का हल केवल भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी सहमति और सिमला समझौते के दायरे में ही तलाशा जाएगा।